विश्व गीता संसथान एक धार्मिक,सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आध्संयामिक सेवा न्यास है जिसके संस्थापक आचार्य राधाकृष्णा मनोडी जी हैं।
संस्थापकविश्व गीता संस्थान का मुख्य उद्देश्य भगवद गीता के गहरे और शाश्वत ज्ञान को दुनिया भर में फैलाना है। यह संस्थान गीता के संदेशों को समाज में जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं, सेमिनारों और कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता है। गीता का ज्ञान केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक शाश्वत कला के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने और आंतरिक शांति प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। इसके द्वारा गीता के गहरे तत्वों को समझकर लोग अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। आज के समय में, जब लोगों को मानसिक तनाव और उलझनों का सामना करना पड़ता है, गीता का शाश्वत ज्ञान हमें सही दृष्टिकोण और आत्म-विश्वास प्रदान करता है। गीता के शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि कर्म, भक्ति, योग और सही दिशा में कार्य करने से जीवन में संतुलन और शांति प्राप्त की जा सकती है। विष्व गीता संस्थान के कार्यक्रम और गतिविधियाँ समाज को गीता के इस शाश्वत ज्ञान से जोड़ने का कार्य करती हैं, जिससे लोगों को अपने जीवन को बेहतर बनाने का अवसर मिलता है। हमें इस संस्थान से जुड़ने की आवश्यकता है, क्योंकि गीता का ज्ञान न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को सुधारने में मदद करता है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी आवश्यक है। गीता का संदेश जीवन में नैतिकता, धर्म और संतुलन को स्थापित करता है। जब हम इस संस्थान के साथ जुड़कर गीता के ज्ञान को फैलाते हैं, तो हम न केवल अपना जीवन बेहतर बनाते हैं, बल्कि दूसरों को भी सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे समाज में शांति, प्रेम और सद्भाव का माहौल उत्पन्न होता है।
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